कुम्भ में अर्धनारीश्वर धाम का लगेगा शिविर, वैष्णव किन्नर अखाड़े की मान्यता दी जाय
महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक होगा,
प्रयागराज। अर्धनारीश्वर धाम के महामंडलेश्वर स्वामी हिमांगी सखी ने प्रयागराज में लगने वाले आगामी महाकुम्भ में महामंडलेश्वर बनाने और वैष्णव किन्नर अखाड़ा के गठन की घोषणा की।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के नारद सभागार में प्रेस वार्ता करते हुए मंगलवार को उन्होंने जानकारी दी।
हिमांगी सखी ने बताया कि शिविर में जनकल्याण के कई कार्य किए जाएंगे जिसमें शिविर में चिकित्सा व स्वच्छता के लिए विशेष अभियान भी चलाया जाएगा साथ ही पूरे मेला के दौरान कथा के माध्यम से लोगों सनातन धर्म के प्रचार प्रसार भी किया जायेगा। किन्नर अखाड़ा एवं वैष्णव किन्नर अखाड़ा को आधिकारिक मान्यता देने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से मांग भी की।
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने बताया कि अब समय आ गया है जब किन्नर अखाड़ों को भी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए।
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी का मानना है कि आज नहीं तो भविष्य में जरूर किन्नर अखाड़ा और वैष्णव किन्नर अखाड़ा को मान्यता प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि पहले अखाड़ों की संख्या केवल चार थी, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए आज 13 तक पहुंच चुकी है। आने वाले समय में किन्नर अखाड़ा एवं वैष्णवी किन्नर अखाड़ा को भी मान्यता मिलने का पूरा विश्वास है।
हिमांगी सखी ने कहा कि किन्नर समाज के लोगों को भी आधिकारिक रूप से धार्मिक आयोजनों में स्थान मिलना चाहिए।
सिर्फ किन्नर कल्याण बोर्ड बनाने से कीन्रन का उद्धार नहीं होगा , बल्कि निचले सदन से उच्च सदन तक आरक्षण दिया जाए साथ ही किन्नर आयोग का गठन किया जाए
जिससे किन्नर समाज के लोग भी सदन में अपनी आवाज़ बुलंद कर सके। अर्धनारीश्वर धाम के शिविर के माध्यम से किन्नर समाज की आध्यात्मिकता को एक मंच मिलेगा, जहां वे अपनी आस्था और धार्मिकता को जनसामान्य के सामने प्रस्तुत कर सकेंगे।
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने विश्वास व्यक्त किया कि किन्नर अखाड़ों को मान्यता देकर समाज में उनके योगदान को मान्यता दी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि अखाड़ों में किन्नर समाज का प्रतिनिधित्व उनके समाज के लिए आत्मसम्मान और पहचान का प्रतीक होगा।
उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़ा और वैष्णव किन्नर अखाड़ा, दोनों ही अपने समाज के लोगों के लिए एक नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं, और अब वक्त आ गया है कि अखाड़ा परिषद इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए।
हिमांगी सखी का यह बयान धार्मिक जगत में नए बदलाव का संकेत देता है। किन्नर समाज के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक मंच उपलब्ध कराना उन्हें मुख्यधारा में लाने के प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है। किन्नर अखाड़ों को मान्यता देने से समाज में समावेशिता का संदेश जाएगा और इससे किन्नर समाज के लोगों को सामाजिक और धार्मिक पहचान मिलेगी।
हिमांगी सखी का मानना है कि अखाड़ा परिषद का समर्थन मिलने पर किन्नर समाज का अखाड़ों में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा।