मोहम्मद लाई

वा काटा जैसे शब्द कुछ कुछ देर में सुनाई देता रहा

प्रयागराज। मकर सक्रांति का त्यौहार ना केवल तिल और गुड़ के लिए फेमस है बल्कि इस दिन लोग अपनी अपनी छतो मैदानों पर जाकर के पतंग का आनंद लेते हैं आसमानों पर सिर्फ पतंग ही पतंग दिख रही थी वहीं कई ऐसी जगहें ऐसी भी हैं जहां पर पतंग की प्रतियोगिता भी की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने के पीछे एक मान्यता छिपी है
मकर संक्रांति पर पूरे देश में पतंग उड़ाई जाती है, इसलिए इसे पतंग पर्व भी कहा जाता है. संक्रांति पर पतंग उड़ाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है. दक्षिण भारत में पौराणिक ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत की थी. ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी, वो इंद्र लोक में चली गई थी. इसके बाद से आज भी इस परंपरा को निभाया जा रहा है
अगर बात करें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की तो पतंग उड़ाने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है. पतंग उड़ाने से दिमाग और दिल का संतुलन बना रहता है. पतंग को धूप में उड़ाया जाता है, जिससे हमारे शरीर को विटामिन-डी भरपूर मात्रा में मिलता है और स्किन से सम्बंधित बीमारियां नहीं होती हैं
प्रयागराज के पुराने शहर में कई काईट फ्लाइंग क्लब भी मौजूद है जो प्रयागराज से काइट फ्लाइंग के लिए बाहर भी जाते हैं और इनका काफी नाम भी मशहूर है जैसे प्रयागराज के शाहगंज पुराने मोहल्ले में इसहाक पतंग की दुकान शहर की सबसे पुरानी व चर्चित दुकानों में से एक है वही दरियाबाद में कोहिनूर काईट फ्लाइंग क्लब के संस्थापक प्यारे खान भी प्रयागराज के मशहूर पतंग बाजू में से एक हैं इसमें नौजवानों का भी कम योगदान नहीं है इसमें नौजवान भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं जहां समय-समय पर लोग पतंगबाजी से अपने क्लब का नाम रोशन करते हैं वही मकर संक्रांति पतंगबाजी धार्मिक व आस्था के रूप में उड़ाई जाती है पतंग बेचने वाले दुकानदार बताते हैं कि मकर संक्रांति पर 1 दिन में ही 1 महीने की लगभग उतरी हो जाती है