नये साल पर विशेष

कम हो गया है उम्र का 1 साल और हम खुशियां मना रहे हैं नया साल आ गया

मो.लईक

31 दिसम्बर और 1 जनवरी यानि जश्न की रात और दिन हम भारतीय या दुनिया के हर लोग नये साल का जश्न मनाते है क्यों मानते है ?

रिवाज जो है ,रिवाज क्यों है ?

क्योंकि सदियों से होता चला आ रहा है लेकिन कब से होता चला आ रहा है ?

खबर ज़रा हटके: क्या कोई सही तारीख सही स्थान की जानकारी हमारे पास है क्या कभी हमने इतिहास के अंदर झांकने की कोशिश की है?
यह जानने के लिए के पहला न्यू ईयर सेलिब्रेशन कब और किन हालात में हुआ था अगर नहीं किया है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ लीजिए इस पोस्ट में हम यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि रोमन कैलेंडर का ये जनवरी दिसंबर वाले साल का पहला नए साल का सेलिब्रेशन कब कैसे और किन हालात में हुआ था ?
इन बातों की जानकारी के लिए यदि आप गूगल पर सर्च करते हैं कि पहला न्यू ईयर सेलिब्रेशन कब और कहां हुआ था तो जवाब मिलेगा मोसोपोटामिया में ईसा से 2000 साल पहले न्यू ईयर सेलिब्रेशन हुआ

लेकिन यह गलत है मेसोपोटामिया में कोई सेलिब्रेशन तो होता था लेकिन वह न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं होता था बल्कि उस समय वहां कोई फसल कटा करती थी और यह सेलिब्रेशन फसल को लेकर था ना कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन को लेकर,तो फिर

न्यू ईयर सेलिब्रेशन की ओरिजिन (उदय) क्या है?

बात है ईसा से 700 साल पहले की जब रूम पर राजा नुमा किंगनुमा राज करते थे उस समय रोमन कैलेंडर में और ग्रेगोरी कैलेंडर (वर्तमान का अंग्रेजी कलेंडर ) जिसे आज हम और आप सहित पूरी दुनिया फॉलो करते हैं उस कैलेंडर में सिर्फ 10 महीने हुआ करते थे और उस कैलेंडर में 304 दिन हुआ करते थे। किंग नुमा ने वर्तमान कैलेंडर में 2 महीने और जोड़ दिए और 360 दिन कर दिया आपके लिए यह जानना भी बेहद जरूरी होगा कि10 महीने का यह साल मार्च से शुरू हुआ करता था राजानुमा ने  जैनवेरियस (जनवरी) और फेब्रियस (फरवरी) नाम के 2 महीने जोड़ दिए

अब यह जैनवेरियस क्या था? : जैनवेरियस रोम में एक देवी थी जो उद्घाटन की देवी थी रोमन लोगों में एक रिवाज था रिवाज ये था कि वह अपना कोई भी कार्य शुरू करने से पहले जैनवेरियस नाम की देवी की पूजा किया करते थे और नाच गा कर उसे खुश किया करते थे क्योंकि रोमन लोगों को लगता था कि नाचने गाने से
देवी उनसे प्रसन्न हो जाएगी और उनके सारे कार्य सकुशल संपन्न हो जाएंगे

अब इस बात को ध्यान से पढ़ें:जैनवेरियस उद्घाटन की देवी थी और उनके नाम पर ही नाम रखा गया था और साल शुरू होने वाला था रोमन लोग परंपरा के अनुसार जैनवेरियस की पूजा पाठ करने लगे और उसे खुश करने लगे उन्हें या नहीं मालूम था कि वह नए साल का सेलिब्रेशन कर रहे हैं और यही है दुनिया के सबसे पहले नए साल की खुशी मनाने का इतिहास।

निश्चित तौर पर हम यह कह सकते हैं कि ईसा से 700 साल पहले किंगनुमा के राज्य काल में सबसे पहला न्यू ईयर सेलिब्रेशन हुआ रोमन कैलेंडर का जबकि हम भारतीय वा दुनिया के कई देश सोचते हैं कि नया साल ईसाइयों का त्यौहार है।अब ध्यान देने की बात यह है कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन ईसा से 700 साल पहले हुआ है जब के ईसा मसीह ही नहीं थे तो वहां क्रिश्चियन का क्या काम मतलब उस वक्त क्रिश्चियन धर्म की स्थापना ही नहीं हुई थी।

उस समय नया साल मनाने वाले यह लोग देवी देवताओं को पूजने वाले थे तो हम यह कह सकते हैं कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन सबसे पहले देवी देवताओं की पूजा करने वालों ने शुरू किया और सन 1582 तक क्रिश्चियन लोग इस न्यू ईयर सेलिब्रेशन में हिस्सा भी नहीं लिया करते थे बल्कि वह लोग 1 जनवरी को circumcision of Christ नाम से एक फेस्टिवल को सेलिब्रेट करते थे। सन 1582 में पोप ग्रेगरी ने इस कैलेंडर में कुछ सुधार किया तभी से क्रिश्चियन लोग इस सेलिब्रेशन में शामिल होने लगे वरना उससे पहले इस न्यू ईयर सेलिब्रेशन को बुत की पूजा करने वालों ही सेलिब्रेशन किया करते थे
उसके बाद इंडस्ट्रियल रेवोलुशन (औद्योगिक क्रांति) का जमाना आया और औद्योगिक क्रांति ने हर चीज को ग्लोबलाइज कर दिया। ईशा से 700 साल पहले का न्यू ईयर सेलिब्रेशन श्रद्धा पर आधारित था लेकिन आज का न्यू ईयर सेलिब्रेशन का बाजारीकरण हो गया है विश्व में लाखों-करोड़ों रुपए के आतिशबाजी ग्रीटिंग कार्ड आदि के बाजार सज जाते हैं रेस्टोरेंट होटल मॉल सेलिब्रेशन प्वाइंट आदि इन सभीचीजों का मकसद होता है सिर्फ पैसा किस प्रकार से कमाया जाए
और नए साल को बाजारीकरण में बदल दिया गया।
फिर भी सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाए