मुंबई, प्रेट्र। Maharashtra: देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में अब इस बीमारी से जुड़ी दवाओं पर भी जबर्दस्त राजनीति हो रही है। बड़ी मात्रा में रेमडेसिविर इंजेक्शन विदेश भेजने की आशंका पर पुलिस ने एक दवा कंपनी के डाइरेक्टर को थाने बुलाकर शनिवार को पूछताछ की। इस डाइरेक्टर की पैरवी में थाने पर भाजपा नेताओं देवेंद्र फड़नवीस और प्रवीण दारेकर के पहुंचने पर मामला तूल पकड़ गया। सरकार में शामिल दलों ने जहां भाजपा नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाए वहीं भाजपा ने महाराष्ट्र सरकार पर संकट काल में भी राजनीति करने का आरोप लगाया।

पुलिस ने बताया कि हमें जानकारी मिली थी कि निर्यात पर पाबंदी के बावजूद करीब 60 हजार रेमडेसेविर के वायल एयर कार्गो से विदेश भेजे जाने वाले हैं। इस जानकारी के बाद हमने दमन स्थित कंपनी ब्रुक फार्मा के डाइरेक्टर राजेश दोकानिया को कांदिवली में उनके घर से रात साढ़े आठ बजे विलेपार्ले थाने बुलाकर पूछताछ शुरू की। दोकानिया से पूछताछ होने पर पूर्व मुख्यमंत्री देंवेद्र फड़नवीस और प्रवीन दारेकर थाने पहुंच गए। दोकानिया को करीब 12 बजे छोड़ दिया गया। पुलिस ने बताया कि राजेश दोकानिया के पास रेमडेसिविर की 60 हजार वायल का स्टाक था। दवा की किल्लत देखते हुए सरकार ने उसे यह स्टाक देश में ही बेचने को कहा था। महाराष्ट्र पुलिस के डीसीपी मंजूनाथ सिंह ने बताया कि हम दोकानिया से उस स्टाक के बारे में जानना चाहते थे।

उधर भाजपा नेताओं को दवा निर्माता से पूछताछ रास नहीं आई। उनका आरोप है कि राज्य सरकार आपदा काल में भी राजनीति कर रही है। वह उन दवा निर्माताओं को परेशान कर रही है जिनसे भाजपा रेमडेसिविर की सप्लाई करवाने के लिए संपर्क में है। फड़नवीस ने बताया कि राज्य में रेमडेसिविर की किल्लत पर हम लोगों ने चार दिन पहले ब्रुक फार्मा से इसकी सप्लाई का आग्रह किया था लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इजाजत नहीं दी। इस पर हमने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया से बातचीत की इसके बाद ही एफडीए की इजाजत मिली।

फड़नवीस का कहना है कि इसके बाद महाराष्ट्र की सीएम के ओएसडी ने फार्मा कंपनी के अधिकारियों से पूछा कि वे भाजपा नेताओं की अपील पर रेमडेसिविर कैसे दे सकते हैं। कंपनी को सबक सिखाने के लिए 10 पुलिस वाले कंपनी के डाइरेक्टर के घर पहुंचे और पूछताछ के नाम पर थाने उठा लाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से इस तरह के व्यवहार की मुझे उम्मीद नहीं थी। उधर राज्य के मंत्री जयंत पाटिल ने एक ट्वीट कर कहा कि इस मामले में पुलिस ने जो किया वह पूरी तरह उचित है। असली सवाल यह है कि भाजपा का कोई नेता राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और पुलिस को विश्वास में लिए बिना लाखों की संख्या में रेमडेसिविर कैसे हासिल कर सकता है। यह तो ओछेपन की पराकाष्ठा है।

फड़नवीस के इस दावे कि भाजपा ने रेमडेसिविर बांटने के लिए मंगवाई है, सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने पूछा कि इतना बड़ा स्टाक हासिल करने में वे कैसे कामयाब हुए। जबकि इसकी बिक्री सिर्फ सरकार को ही जानी है। उन्होंने पूछा कि फड़नवीस ने इस बात की जानकारी राज्य सरकार को क्यों नहीं दी। भाजपा के दफ्तर में 4.75 करोड़ की इस दवा का स्टाक क्यों किया गया। इसी तरह का मामला गुजरात में भी सामने आया है। गोखले ने ट्वीट में कहा कि राकांपा नेता नवाब मलिक ने जब शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र ने महाराष्ट्र को रेमडेसिविर का सप्लाई रोक दी है तो फड़नवीस ने राज्य सरकार को जानकारी दिए बिना गुपचुप तरीके से करोड़ों का स्टाक क्यों मंगवाया।

उल्लेखनीय है राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने शनिवार को आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार दवा कंपनियों को महाराष्ट्र को रेमडेसिविर की बिक्री करने से रोक रही है। इस पर दो केंद्रीय मंत्रियों ने आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि इस संकट में भी महाराष्ट्र सरकार राजनीति से बाज नहीं आ रही है। वहीं फड़नवीस ने कहा कि मलिक और महाराष्ट्र के मंत्रियों को आम आदमी की तकलीफों से कोई मतलब नहीं है। उनकी रुचि सिर्फ राजनीति में है। मलिक ने रविवार को जवाबी हमला करते हुए कहा कि महाराष्ट्र भाजपा के शीर्ष नेता आखिर दवा कंपनी के डाइरेक्टर की मदद करने क्यों भागे चले आए। क्या वे उसके वकील हैं।